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लौकी (बोतल गॉर्ड) स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद

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लौकी (बोतल गॉर्ड) स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद सब्जी है। इसमें कई पोषक तत्व होते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। यहाँ कुछ लाभ और उपयोग के तरीके दिए गए हैं:  लौकी के स्वास्थ्य लाभ: 1. पोषक तत्वों का स्रोत लौकी में विटामिन सी, विटामिन बी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, और फाइबर प्रचुर मात्रा में होते हैं। 2. हाइड्रेशन इसमें 90% से अधिक पानी होता है, जो शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करता है। 3. वजन कम करने में सहायक लौकी का सेवन वजन घटाने में मदद करता है क्योंकि इसमें कैलोरी की मात्रा कम होती है और फाइबर अधिक होता है। 4. पाचन में सुधार उच्च फाइबर सामग्री के कारण यह पाचन में सहायक होती है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिलाती है। 5. दिल की सेहत लौकी में पोटैशियम होता है जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे दिल की बीमारियों का जोखिम कम होता है। 6. त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद इसमें एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी होते हैं, जो त्वचा और बालों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं।  लौकी का उपयोग कैसे और कब करें: 1. लौकी की सब्जी यह सबसे सामान्य और आसान तरीका ह...

पॉलीहाउस खेती: लाभ, लागत, सब्सिडी और उपयुक्त फसलें

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पॉलीहाउस खेती: लाभ, लागत, सब्सिडी और उपयुक्त फसलें पॉली हाउस खेती में एक अच्छी तरह से निर्मित संरक्षित प्रणाली शामिल होती है जिसमें फसलें कठोर मौसम की स्थिति, कीटों और बीमारियों से सुरक्षित वातावरण में उगाई जाती हैं। पॉलीहाउस खेती अपने सुरक्षात्मक वातावरण के कारण पारंपरिक कृषि पद्धतियों से बेहतर साबित हुई है, जिससे उपज बढ़ती है। पॉलीहाउस खेती क्या है? पॉलीहाउस खेती एक आधुनिक कृषि पद्धति है जिसमें पारदर्शी या अर्ध पारदर्शी सामग्रियों का उपयोग करके नियंत्रित वातावरण में पौधों की खेती शामिल है।  ये वातावरण आमतौर पर पारदर्शी दीवारों और छतों के साथ प्लास्टिक या धातु के फ्रेम से बने होते हैं। खुले खेत की फसलों की तुलना में यह फायदेमंद है क्योंकि रिटर्न अच्छा है क्योंकि पॉली हाउस मौसम की परवाह किए बिना पूरे साल फसल उगाने की अनुमति देता है। साथ ही, खुले खेत में खेती की तुलना में उपज की गुणवत्ता बेहतर होती है। खुले खेत में फसल की खेती की तुलना में पॉलीहाउस या ग्रीनहाउस खेती के तहत उपज  4 से 8  गुना के स्तर तक प्राप्त की जा सकती है । पॉलीहाउ...

अंबिका और अरूणिका:आम की सबसे बौनी किस्म

अंबिका और अरूणिका है आम की सबसे बौनी किस्म । इन्हें घर के किसी भी कोने में लगाकर आप प्रतिवर्ष 20 किलो तक आम उगा सकते हैं। आवाज एक पहल इंसान में बौनापन अभिशाप है पर आम के पौधों को बौना करने की कवायद चल रही है. अंबिका और अरूणिका वैज्ञानिकों के तकरीबन 30 साल की मेहनत के बाद आम की बोनी वैरायटी के रूप में विकसित की गई है। दरअसल आम के इन छोटी वैरायटी के कई फायदे हैं । इससे सघन वृक्षारोपण में कम स्थान में अधिक संख्या में पौधे लगने के कारण कुछ ही सालों में बहुत अधिक उपज मिलना संभव है।छोटे पौधों से फलों को तोड़ना आसान है और उनकी देखरेख में भी कम खर्च होता है। .अभी तक आम्रपाली किस्म अपने छोटे आकार के लिए काफी प्रचलित हुई हैं लेकिन आम्रपाली के फल बाजार में आने में 30 वर्ष लग गये.इसके पौधे भी  अन्य किस्मों की तरह विशाल रूप धारण कर लेते हैं. इसी दिशा में केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ में बौनी प्रजातियों के विकास के लिए शोध किया गया और अरूणिका एवं अम्बिका नाम की संकर किस्में विकसित की गई. अरूणिका अपनी माँ आम्रपाली से पौधों के आकार में लगभग 40 प्रतिशत छोटी है. लाल रंग के आकर्षक फलों के कार...