किसानों और कृषि के लिए क्रांतिकारी परिवर्तन:इ कौशलेन्द्र प्रताप सिंह "ग्लोबल फाउण्डेशन सोसायटी"
कृषि प्रधान देश भारत की अर्थव्यवस्था का आधार कृषि है। इसके बावजूद इस क्षेत्र को उपेक्षित रखा गया था, लेकिन नरेन्द्र मोदी के प्रधनमंत्री बनने के बाद देश के कृषि क्षेत्र में एक अलग ही उत्साह का माहौल बना कृषि क्षेत्र में प्रवेश के लिए मोदी सरकार ने विभिन्न येजनाओं कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को लगातार प्रोत्साहित किया। इसके कारण अब पढ़े-लिखे युवा भी कृषि क्षेत्र के प्रति आकर्षित हार हैं भारत का कृषि बजट नै साल में पाँच गुणा बढ़कर 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। 2014 में कृषि बजट 25,000 करोड़ रुपये से भी कम था। भारतीय कृषि क्षेत्र आजाद के बाद लंबे समय तक संकट में रहा। देश को खाद्य सुरक्षा के लिए अन्य देशों पर निर्भर होना पड़ा, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। पिछले कुछ वर्षों में सरकार की नीतियों व किसानों के अथक प्रयसों ने देश को न सिर्फ आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि आज हम कई कृषि उत्पादों का निर्यात कर रहे हैं। लगभग 12 करोड़ किसानों को छह हजार रुपये सालाना सम्मान निधि देकर उन्हें उत्साहित और सम्मानित किया गया है। कृषि उत्पादों का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए मोदी सरकार मिशन मोड में काम कर रही है।
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सहकारिता के क्षेत्र में नई क्रांति ही रही है। पहले सहकारी क्षेत्र केवल कुछ राज्य तक ही सीमित था। अब पूरे देश में इसका विस्तार हुआ है और लगातार हो भी रहा है। इसी तरह नौ साल पहले कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप की संख्या लगभग नगण्य थी, लेकिन अब यह तीन हजार से अधिक हो गई है। देश में लगभग 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जिन्हें मजबूती प्रदान करने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार ने अनेक ठोस कदम उठाए हैं। केंद्र सरकार छोटे किसान को रियायती ब्याज पर अल्पकालिक ऋण भी प्रदान कर रही है, जिसकी सीमा बढ़ाकर 18 लाख करोड़ रुपये की गई है। देश में कृषि बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए मोदी सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये का कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड स्थापित किया है। वहीं, पशुपालन व मत्स्यपालन सहित कृषि से संबद्ध क्षेत्रों में भी सुधार के लिए अनेक कर्यक्रम चलाए गए। कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के महत्व से लेकर कृषि क्षेत्र में परिवर्तन के प्रभाव जलवायु को कम करने के लिए प्राकृतिक व जैविक खेती पर जोर देने के साथ- साथ सूक्ष्म सिंचाई के दायरे का विस्तार किया है। कृषि और किसान कल्याण के लिए सरकार लगातार काम कर रही है।
पिछले साल संयुक्त राष्ट्र ने साल ने 2023 को मोटा अनाज वर्ष (मिलेट्स वर्ष) घोषित किया तो प्रधानमंत्री मोदी जी के मार्गदर्शन में देश में मोटे अनाज को प्रोत्साहन देने के लिए कई कार्य किए गए प्रधानमंत्री ने बेहतर स्वास्थ्य के लिए मोटे अनाज की अहमियत पर बल दिया है और संसदों से इन्हें प्रोत्साहित करने को दिशा में काम करने को कहा है। भारत सरकार का कृषि विभाग भारत सरकार के अन्य विभाग के साथ मिलकर मोटे अनाज को प्रोत्साहित करने के लिए प्रचार-प्रसार का काम कर रहा है। कृषि उत्पाद की दृष्टि से भी भारत दुनिया में अग्रणी हैं, लेकिन आज इस बात की सबसे अधिक जरूरत है कि हमारी खाने की थाली में पोषकता का अभाव न हो पूरी दुनिया में पौषक तत्व खाने में रहें, इस बात पर तो चर्चा चलती रहता है, लेकिन प्रधानमंत्री मादा न इन पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने वाले मोटे अनाज को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ के समक्ष अपनी बात को रख इसी का परिणाम रहा कि वर्ष 2023 की संयुक्त राष्ट्र संघ 'द्वारा मिलेट्स वर्ष घोषित कर दिया गया। भारत सरकार ने वर्ष 2018 में तमाम कार्यक्रम किए लेकिन अब पीएम मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे अपनाया है। 72 देशों ने इस बात का समर्थन किया और अब पूरी दुनिया 2023 में धूमधाम से मिलेट्स वर्ष मनाने को तैयार है। ऐसे में सरकार ने किसनें के साथ इस पर बातचीत भी की है। सरकार द्वारा मोटे अनाज की उत्पादकता बढ़ाने के प्रयोग किए जा रहे हैं। जैसे-जैसे मोटे अनाज की मांग बढ़ेगी वैसे-वैसे किसानों को इनका अच्छा दाम भी मिलेगा। दुनिया के बाजार में मोटा अनज उपयेगी होगा और इससे बने पदार्थी को मार्केट मिलेगा। इसका फायदा हमारे यहाँ के स्टार्टअप्स इंडस्ट्री और किसानों को भी होगा।
किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के माध्यम से किसानों को फसलों को खरीद और बिक्री करने में आसानी होती है। छोटे किसानों की अपनी आर्थिक क्षमता नहीं होती, वहीं दूसरे बड़े लोग भी ऐसे किसानों तक नहीं पहुंचते। ऐसे में कृषि क्षेत्र में निजी निवेश का पहुंचना बहुत जरूरी है। एफपीओ परियोजना पर केंद्र सरकार 6,865 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। अभी तक 10 हजार एफपीओ में से चार हजार एफपीओ रजिस्टर्ड हो चुके हैं। कृषि क्षेत्र में यह एक क्रांति की तरह है। देश में कृषि के विकास और उन्नत खेती में इसका अहम योगदान रहा है। सरकार द्वारा डिपार्टमेंट में एग्रीस्टैक बनाया गया।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश में पहली बार ड्रोन पालिसी बनाई गई है, ताकि कृषि के क्षेत्र में भी उसका उपयोग हो। फसलों के आकलन, भूमि रिकार्ड का डिजिटलीकरण, कीटनाशकों एवं पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए किसान ड्रोन' का इस्तेमाल शुरू हो गया है। ड्रोन का इस्तेमाल करके पेस्टिसाइड और फर्टिलाइजर के दुष्प्रभावों से भी बच्चा जा सकता है ड्रोन के माध्यम से समय की भी बचत होती है। ड्रोन से बड़े क्षेत्रफल वाले खेत में महज कुछ ही मिनटों में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव भी किया जा सकता है। भारत बीते नौ वर्ष में खेती के कार्य में आमूलचूल परिवर्तन के लिए बहुत आगे बढ़ चुका है।
ग्रामीण क्षेत्र में जो लोग रहते हैं, उनके पास पहले संपत्ति का कोई मालिकाना हक नहीं होता था मोदी सरकार के प्रयासों से पंचायत विभाग के माध्यम से सर्वे आफ इंडिया ने स्वामित्व येजना के अन्तर्गत ड्रोन तकनीक से हर गाँव का सर्वे किया और जिसका मकान वहाँ बना हुआ है, उसका आकलन करके उस मकान का मालिकाना हक उसे दिया। इससे यह लाभ हुआ कि अब उस व्यक्ति की संपत्ति रजिस्टर्ड हुई और संपत्ति की कीमत का भी आकलन हो गया।
जी-20 की अध्यक्षता इस बार भारत के पास है। भारत के गौरव की बढ़ाने के लिए जी-20 के प्लेटफार्म पर देशभर में लगभग 56 कार्यक्रम होंगे। पहले इस तरीके के कार्यक्रम केवल दिल्ली तक ही सीमित होते थे, लेकिन इस बार इसे पूरे देश में विकेंद्रित किया गया है। जी-20 के माध्यम से दुनिया के कई देशों के प्रतिनिधि जब भारत आएंगे तो वो देख पाएंगे कि भारत कैसे तरक्की कर रहा है। इस दौरान वे विभिन्न क्षेत्रों को भी जानेंगे। इससे भारत की प्रतिष्ठा बढ़ेगी। कृषि मंत्रालय ने भी निर्धारित कार्यक्रमों के लिए उपयुक्त स्थानों का चयन किया है। इस प्रकार दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता के नेतृत्व में भारत का कृषि क्षेत्र बुलंदी पर है।
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