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Showing posts from December, 2021

कीवी की खेती करें।।

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चाइनीज़ गूजबैरी जो कि ‘कीवी फल’ के नाम से प्रसिद्ध है, कीवी फल एक महत्त्वपूर्ण फल है| कीवी फल की खेती हिमालय के मध्यवर्ती, निचले पर्वतीय क्षेत्रों, घाटियों तथा मैदानी क्षत्रों में जहां सिंचाई की सुविधा हो, सफलतापुर्वक की जा सकती है| अंगूर की बेलों की तरह ही इसकी बेलें बढ़ती हैं| कीवी फल भूरे रंग का, लम्बूतरा, मुर्गी के अण्डे के आकार का होता है| छिलके पर बारीक रोयें होते हैं, जोकि फल पकने पर रगड़ कर उतारे जा सकते हैं। कीवी फल गूदा हल्के हरे रंग का होता है व इसमें काले रंग के छोटे-छोटे बीज होते हैं। इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है| किवी फल को ताजा फल के रूप में या स्लाद के रूप में खाने के लिए उपयोग में लाया जाता है| यह पोषक तत्वों और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है| इसमें विटामिन बी और सी तथा खनिज जैसे फास्फोरस, पोटाश तथा कैल्शियम की अधिक मात्रा होती है| इस लेख में कीवी फल की वैज्ञानिक तकनीक से बागवानी कैसे करें की पूरी जानकारी का उल्लेख किया गया है| ताकि कृषक इसकी फसल से गुणवत्ता युक्त और अधिकतम उत्पादन प्राप्त कर सकें। उपयुक्त जलवायु कीवी फल की बेल अंगूर की तरह हो...

औषधीय फसलों की खेती को बढा़वा दे रहा कृषि विभाग

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औषधीय फसलों को बढा़वा देने के लिए ग्लोबल फाउण्डेशन सोसायटी NDUA&T के साथ कृषि पत्रिका कृषक वाटिका के साथ जनपदीय कृषि विज्ञान केन्द्रों की सहायता से सीधे गांवों में प्राकृतिक उत्पादों के प्रति लोगों की बढ़ती रूचि के परिणामस्वरूप औषधीय पौधों का अंतरराष्ट्रीय बाजार में महत्व बढ़ा है। औषधीय पौधे स्वदेशी चिकित्सा पद्धति के लिए प्रमुख संसाधन हैं। आयुष प्रणालियों की राष्ट्रीय और विश्व स्तर पर पहुंच और स्वीकार्यता, गुणवत्तापूर्ण औषधीय पौधों पर आधारित कच्चे माल की निर्बाध उपलब्धता पर निर्भर है, जिससे औषधीय पौधों का व्यापार निरन्तर बढ़ रहा है। हिमाचल समृद्ध जैविक विविधता से सम्पन्न प्रदेश है। औषधीय पौधों एवं संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए राज्य औषधीय पादप बोर्ड प्रदेश में आयुष विभाग के तत्वावधान में कार्य कर रहा है। इसके अंतर्गत आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण के लिए आर्थिक आवश्यकताओं और औषधीय पौधों की सुगम उपलब्धता पर बल दिया जा रहा है। औषधीय पौधों की खेती के लिए 318 किसानों को प्राप्त हुई 99.68 लाख की वित्तीय सहायता  औषधीय पौधों के संरक्षण को बढ़ावा देने और किस...

प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना

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सबके लिए आवास (शहरी) मिशन का शुभारम्भ 17.06.2015 को किया गया। मिशन के अन्तर्गत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ई०डब्ल्यू०एस०) तथा निम्न आय वर्ग (एल०आई०जी०) वाले परिवारों को लाभान्वित किया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) पक्के घर के माध्यम से देशभर में लाखों लोगों के चेहरों पर मुस्कान ला रही है। उत्‍तर प्रदेश सीएम योगी जी ने पिछले साढ़े चार वर्षों के दौरान शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में लगभग 41 लाख 73 हजार गरीबों को आवास उपलब्ध कराएं हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना का मकसद सभी को सम्मानपूर्वक एक घर मुहैया कराना है। साथ ही महिलाओं की सहभागिता भी सुनिश्चित की जाती है। प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लेने के लिए महिला का को-ओनर होना जरुरी है। लाभार्थी निम्न माध्यम से PMAY स्कीम के लिए अप्लाई कर सकते हैं: • ऑनलाइन:  प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) की ऑफिशियल वेबसाइट (https://pmaymis.gov.in/) पर जा कर व्यक्ति ऑनलाइन अप्लाई कर सकता है. अप्लाई करने के लिए उसके पास  मान्य आधार कार्ड होना चाहिए। • ऑफलाइन:  लाभार्थी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के माध्यम से उपलब्ध फॉर्म भरकर प्रधानमंत्री आवास य...

KCC Online आसानी से

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KCC Application Form : केंद्र सरकार ने किसानों ( Farmer ) की आय को दोगुना करने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं शुरू की हैं ! सरकार इन योजनाओं के माध्यम से किसानों को उच्च आय और सुखी जीवन प्रदान करना चाहती है ! केंद्र सरकार ने इस उद्देश्य के लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना ( Kisan Credit Card Scheme ) को पुनर्जीवित किया है ! किसानों की यह योजना पहले बंद कर दी गई थी, लेकिन केंद्र सरकार ने अब इस किसान क्रेडिट कार्ड योजना ( KCC Yojana ) को फिर से शुरू कर दिया है! अब सभी किसान बनवा सकते हैं अपना किसान क्रेडिट कार्ड! आज अपने इस लेख में हम आपको केंद्र सरकार की इस किसान क्रेडिट कार्ड योजना के बारे में जानकारी देंगे ! इसके साथ ही हम किसानों को यह भी बताएंगे कि वे अपने किसान क्रेडिट कार्ड  ( Kisan Credit Card ) के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे कर सकते हैं ! KCC Application Form किसान क्रेडिट कार्ड योजना ( Kisan Credit Card Scheme ) किसानों के लिए बहुत ही लाभकारी योजना है ! केंद्र सरकार की इस योजना के तहत किसान अपना किसान क्रेडिट कार्ड ( KCC ) बनवाकर योजना का लाभ उ...

फसलोत्पादन गेंहूँ

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फसलोत्पादन गेहूँ में खरपतवार प्रबंध एवं फसल सुरक्षा  लेखक द्वय :  जय सिंह एवं डा. बी. एन. सिंह खरपतवार प्रबन्ध (Weed Manegement)   खरपतवार के पौधे न केवल फसल को दिए गए खाद एवं पानी का उपयोग करते हैं, बल्कि प्रकाश एवम वायु स्थान हेतु फसल के साथ प्रतियोगिता करके उत्पादन को घटा देते हैं। इस प्रकार की उत्पादन में होने वाली कमी पूर्णतः खरपतवार सघनता पर निर्भर करती है। उत्पादन की यह कमी विभिन्न अवस्थाओं में 10-40 प्रतिशत तक हो जाती है। प्रायः फसल के मध्य पारम्परिक रूप से बथुवा, खरथुवा, अंकरी, बनप्याजी, मटरी, हिरनखुरी, सेजी, कटइली, गजरी, कृष्णनील आदि वार्षिक खरपतवार आते हैं। कुछ खेतों में जवासा वायसुरी, कांस, दूब आदि बहुवार्षिक खरपतवार भी उगते हैं। आजकल इन खरपतवारों के अतिरिक्त गेहूँ का माँमा तथा जंगली जई के पौधे भी व्यापक रूप से उगने लगे हैं। उपरोक्त दोनों खरपतवार के पौधे गेहूँ के ही समान होते हैं और प्रारम्भ में इन्हें पहचान पाना कठिन होता है। फसल के बीच उगे खरपतवारों का समय से नियंत्रण करना अत्यन्त आवश्यक है। प्रायः इन्हें बुआई के 30-35 दिन बाद खेत से निकाल देना च...

Krishak Vatika

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त्रैमासिक कृषि पत्रिका के सफलता के स्मरणीय 13 वर्ष: कृषक वाटिका  (कृषि एवं ग्रामीण विकास की क्रान्तिकारी पहल)  का प्रथम अंक जनवरी 2009 में किया गया।  खुशहाल किसान एग्रीमार्ट प्रधान सम्पादक   डा. योगेन्द्र प्रताप सिंह सम्पादक मण्डल डा. आशीष गोस्वामी - वाराणसी (पूर्वी उत्तर प्रदेश) खुशहाल किसान एग्रीमार्ट  डा. अनिल कुमार चौरसिया - पन्तनगर (उत्तरांचल)  डा. डी.के. तिवारी - नागपुर (महाराष्ट्र) डा. सईद अख्तर - हैदराबाद (आन्ध्र प्रदेश) सुलक्षणा सिंह - कन्नौज (पश्चिमी उत्तर प्रदेश) प्रतिनिधि/संवाददाता स्वयं सिंह (लखनऊ),  डा. आर. मूर्ति चौरसिया (इलाहाबाद),  डा. रमेश चौरसिया (फैजाबाद),  शिवम (नई दिल्ली), वेद प्रकाश (भदोही),  विवेक (औरैया) सम्पादक पत्र-व्यवहार डा. वाई.पी.सिंह,  प्रधान संपादक,  कृषक वाटिका हनुमान मन्दिर, नरसड़ा, सुल्तानपुर (उ.प्र.), 227806  संयुक्त निदेशक (उत्पादन)  भूपेन्द्र सिंह 'सर्जन भईया' व्यापार प्रबंधक नीलम सिंह आवरण एवं सज्जा कुँवर अनुभव विक्रम सिंह और प्रिंसेज अमृता मूल्य एक प्रति  30 रुपये 300 रुपय...