सूरन जिमीकन्द/कांद
पूरे उत्तर भारत में सूरन की खेती होती है जबकि पूर्उवी त्तर प्रदेश में यह जंगली पौधा है जो घर के आसपास उग जाता है दोनों की क्वालिटी में अंतर है तो पूर्वी उत्तर प्रदेश में पाया जाता है वह काफी खतरनाक होता है अगर आपने उसे बेहतर ढंग से नहीं बनाया तो फिर पूछिए मत। जबकि गया रीजन में जो ओल उपजाया जाता है वह काफी बढ़िया क्वालिटी का होता है इसके कई प्रकार की सब्जियां व्यंजन और आचार बनाए जाते हैं
उत्तर बिहार में जो पाया जाता है उसका अचार ही बनाया जाता है। इस सुरंन जिमीकंद के नाम से भी जाना जाता है। कहीं-कहीं इसकी मुलायम पत्तियां को साग के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह काफी फायदेमंद है इसमें फास्फोरस की मात्रा पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है
अगर आपने साल में एक बार इसकी सब्जी खा ली तो शरीर में जितनी फास्फोरस की मात्रा 1 साल के लिए चाहिए उतनी प्राप्त हो जाती है इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है तथा कई प्रकार की बीमारियों राहत भी मिलता है। ओल की खेती को बढ़ावा देने के लिए बिहार कृषि विभाग में भी कई तरह के अभियान चला रखे हैं।
बिहार की राजधानी पटना में आपको सालों भर ओल सब्जी मार्केट में आसानी से मिल जाता है। जिसकी न्यूनतम कीमत 70 से 80 रुपए प्रति किलो होता है दीपावली के समय में धार्मिक मान्यता के कारण इसकी कीमतों में उछाल आता है दीपावली की रात ओल का एक आइटम हर घर में जरूर बनता है।
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