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Showing posts from May, 2023

भारत में इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर - हरित भविष्य की ओर अग्रसर

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भारत में इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर - हरित भविष्य की ओर अग्रसर भारत में इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर -  पारंपरिक डीजल से चलने वाले ट्रैक्टरों के स्थायी विकल्प के रूप में इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर भारत में ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। डीजल ट्रैक्टरों के व्यापक उपयोग के कारण भारत में कृषि क्षेत्र ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इलेक्ट्रिक ट्रैक्टरों में कार्बन उत्सर्जन को कम करने, ईंधन की लागत को कम करने और कृषि पद्धतियों में समग्र दक्षता में सुधार करने की क्षमता है। इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर का उपयोग करने के कई फायदे हैं। सबसे पहले, वे शून्य उत्सर्जन उत्पन्न करते हैं, जो वायु गुणवत्ता में सुधार करने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है। दूसरा, वे आमतौर पर गैसोलीन से चलने वाले ट्रैक्टरों की तुलना में संचालित करने और बनाए रखने के लिए कम खर्चीले होते हैं। तीसरा, वे गैसोलीन से चलने वाले ट्रैक्टरों की तुलना में शांत हैं, जो उन क्षेत्रों में फायदेमंद हो सकते हैं जहां ध्वनि प्रदूषण एक चिंता का विषय है। चौथा, वे गैसोलीन से चलने वाले ट्रैक्टरो...

किसानों और कृषि के लिए क्रांतिकारी परिवर्तन:इ कौशलेन्द्र प्रताप सिंह "ग्लोबल फाउण्डेशन सोसायटी"

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कृषि प्रधान देश भारत की अर्थव्यवस्था का आधार कृषि है। इसके बावजूद इस क्षेत्र को उपेक्षित रखा गया था, लेकिन नरेन्द्र मोदी के प्रधनमंत्री बनने के बाद देश के कृषि क्षेत्र में एक अलग ही उत्साह का माहौल बना कृषि क्षेत्र में प्रवेश के लिए मोदी सरकार ने विभिन्न येजनाओं कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को लगातार प्रोत्साहित किया। इसके कारण अब पढ़े-लिखे युवा भी कृषि क्षेत्र के प्रति आकर्षित हार हैं भारत का कृषि बजट नै साल में पाँच गुणा बढ़कर 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। 2014 में कृषि बजट 25,000 करोड़ रुपये से भी कम था। भारतीय कृषि क्षेत्र आजाद के बाद लंबे समय तक संकट में रहा। देश को खाद्य सुरक्षा के लिए अन्य देशों पर निर्भर होना पड़ा, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। पिछले कुछ वर्षों में सरकार की नीतियों व किसानों के अथक प्रयसों ने देश को न सिर्फ आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि आज हम कई कृषि उत्पादों का निर्यात कर रहे हैं। लगभग 12 करोड़ किसानों को छह हजार रुपये सालाना सम्मान निधि देकर उन्हें उत्साहित और सम्मानित किया गया है। कृषि उत्पादों का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए मोदी सरकार मिशन मोड में काम कर ...

अब एक ही पेड़ पर उगेंगे 12 नस्लों के आम, 100 से ज्यादा किसानों ने शुरू की खेती

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अब एक ही पेड़ पर उगेंगे 12 नस्लों के आम, 100 से ज्यादा किसानों ने शुरू की खेती देश में जल्द ही एक पेड़ पर 12 नस्लों के आम उगेंगे। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने इस नई तकनीक को विकसित करने में सफलता हासिल की है। इस सफलता के बाद आने वाले समय में किसानों की आमदनी में भी बढ़ोतरी की संभावना है। किसान भी इसे लेकर उत्साहित है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने एक ही पेड़ पर 12 नस्लों के आम की खेती की प्रणाली विकसित की है। आईसीएआर के पूर्वी प्रक्षेत्र रांची स्थित अनुसंधान केंद्र ने यह तकनीक विकसित की है। इन पेड़ों पर एक साथ दशहरी, मालदह, मल्लिका, जर्दालू, तोतापरी, हिमसागर, प्रभाशंकर जैसी प्रजातियों के फल उग रहे हैं। अब इस तकनीक से इलाके के किसानों को अवगत कराया जा रहा है। इसी केंद्र ने एक ही पौधे में बैगन और टमाटर की खेती में भी तकनीक भी विकसित की है। 100 से ज्यादा किसानों ने प्रायोगिक तौर पर इस खेती की शुरूआत भी कर दी है।  ग्राफ्टिंग तकनीक को लेकर किसानों को प्रशिक्षण प्लांडू एक वैज्ञानिक ने बताया कि आम के एक ही पेड़ पर एक दर्जन प्रजातियों के फल उगाने की यह तकनीक ...

नील हरित शैवाल (Blue-Green Algae): जैविक खाद के उत्पादकों के लिए उपज और कमाई बढ़ाने का शानदार विकल्प

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नील हरित शैवाल (Blue-Green Algae): जैविक खाद के उत्पादकों के लिए उपज और कमाई बढ़ाने का शानदार विकल्प नील हरित शैवाल ऐसी जैविक खाद है जो सालों-साल मिट्टी को उपजाऊ बनाये रखती है नील हरित शैवाल से नाइट्रोजन चक्र का स्थिरीकरण (stabilization) होता है। इसके इस्तेमाल से न सिर्फ़ धान की पैदावार बढ़ती है, बल्कि धान के बाद ली जाने वाली रबी की फसलों के लिए भी मिट्टी में बढ़े नाइट्रोजन और अन्य पोषक तत्वों से फ़ायदा होता है। यदि खेत में लगातार 3 से 4 साल तक इस जैविक खाद का उपयोग होता रहे तो इससे आगामी कई वर्षों तक मिट्टी को शैवाल के उपचारित करने की नौबत नहीं आती, क्योंकि मिट्टी का उपजाऊपन बनी रहती है। नील हरित शैवाल या Blue-Green Algae (Cyanobacteria) एक ख़ास किस्म की काई या जलीय वनस्पति है।  ये एक शानदार जैविक खाद है। किसान इसे आसानी से पैदा कर सकते हैं और कमाई के अतिरिक्त ज़रिये की तरह अपना सकते हैं। नील हरित शैवाल स्वतंत्र रूप से जीने वाले ऐसे जीवाणु हैं जो पेड़-पौधों की तरह प्रकाश संश्लेषण करते हुए वायुमंडलीय नाइट्रोजन को सोखते हैं। इसीलिए नील हरित शैवाल की बाक़ायदा पैदावार...

मई माह में किये जाने वाले खेती बाड़ी के कार्य...

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मई माह में किये जाने वाले                 खेती बाड़ी के कार्य... ग्लोबल फाउण्डेशन सोसायटी के विशेषज्ञ आपके साथ  फसलोत्पादन – गेहूँ - ‌मड़ाई के समय ध्यान रखें कि थ्रेसर ठीक से काम कर रहा हो और गेहूँ का लाक अच्छी तरह सूखा हो। -भण्डारण के लिए गेहूँ को कड़ी धूप में इतना सुखाना चाहिए कि उसमें नमी की मात्रा 8-10 प्रतिशत से अधिक न रहे।           -भण्डारण से पूर्व कुठले या भण्डारगृह को कीटनाशी से विसंक्रमित कर लें। -यदि अनाज की बोरियों में भरकर रखना हो तो नीचे पर्याप्त मात्रा में भूसे व नीम की सूखी पत्ती की तह बिछा दें तथा बोरे को दीवार से 50 सेंमी दूर रखें। सूरजमुखी - सूरजमुखी की फसल में आवश्यकता अनुसार सिंचाई व निराई-गुड़ाई करें। इसके साथ ही पौधों पर 15- 20 सेंमी मिट्टी भी चढ़ा दें। - सूरजमुखी में हरे फुदके, बालदार सूंड़ी या तम्बाकू की सूंड़ी के नियंत्रण के लिए लेम्डासाइलोहाइलेथ्रिन  1.0 मिली प्रति  लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। मूँग/उर्द/लोबिया    गर्मी में बोई गई मूँग, उर्द और लोबिया की ...

माइक्रोग्रीन्स : "The Tiny but Nutritious Powerhouse"

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माइक्रोग्रीन्स : "The Tiny but Nutritious Powerhouse" लेखक: इ कौशलेन्द्र प्रताप सिंह निदेशक ग्लोबल फाउण्डेशन सोसायटी  विगत कुछ वर्षो में माइक्रोग्रीन्स ने अपने उच्च पोषण मूल्य और आसानी से बढ़ने वाली प्रकृति के कारण अत्यधिक लोकप्रियता हासिल की है। मइक्रोग्रेस छोटे हरे पौधे है जो पोषक तत्वों से भरपूर होते है और किसी भी आहार के लिए एकदम सही साथी होते हैं। कुछ पाठको ने इसके बारे में अधिक जानकारी चाही थी तो एक सामान्य जानकारी की पोस्ट बनायीं है जिसमे हम जानेंगे कि माइक्रोग्रीन्स क्या हैं, उनके स्वास्थ्य लाभ, उन्हें घर पर उगाने के तरीके और कुछ पौधे जिन्हें माइक्रोग्रीन्स के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। माइक्रोग्रीन्स क्या हैं? माइक्रोग्रीन्स बहुत छोटे पौधे होते हैं जिन्हें तब काटा जाता है जब वे केवल कुछ इंच लंबे होते हैं, पहली असली पत्तियों के आने के बाद। ये आम तौर पर सब्जियों, जड़ी-बूटियों, या खाद्य फूलों के बीज से उगाए जाते हैं, और मौसम के अनुसार लगाने के एक से दो सप्ताह के अंदर उपयोग के लिए तैयार होते है। माइक्रोग्रीन्स को अक्सर स्प्राउट्स समझ लिया ज...

सोलर ट्री: ऊर्जा एक अद्भुत विकल्प

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दुर्गम स्थानों पर भी लगा सकते है सोलर पावर ट्री , जहा पर बिजली पहुंचाना मुश्किल, बिजली का सस्ता एवं बेहतर विकल्प इ कौशलेन्द्र प्रताप सिंह निदेशक प्रशासन एवं परिवीक्षण ग्लोबल फाउण्डेशन सोसायटी Email: kunvarkps@gmail.com सोलर ट्री को किसानों के मध्य लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से इसे विश्वविद्यालय द्वारा संचालित विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्रों पर प्रकाश एवं 3 हॉर्स पावर के सबमर्सिबल पंप के माध्यम से सिंचाई करने के उद्देश्य से लगाया गया है। इसे लगाने में प्रारंभिक लागत कुछ ज्यादा है ,लेकिन इसे लगा कर बिजली बिल में 15 से 20 प्रतिशत तक कमी लाई जा सकती है। सोलर ट्री के माध्यम से विश्वविद्यालय की विभिन्न इकाईयों में सफलतापूर्वक सौर ऊर्जा उत्पादित किया जा रहा है। इसे और किसानों के मध्य प्रचारित करने की आवश्यकता है।  देश में ऊर्जा संकट की समस्या को हल करने के लिए सीएसआईआर-सीएमईआरआई (केन्द्रीय मैकेनिकल इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान) वैज्ञानिक ने ऐसा सोलर पावर ट्री बनाया है जो सौर ऊर्जा से बिजली की आपूर्ति करता है। इस सोलर ट्री की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसको बहुत ही कम जगह में और क...

श्री अन्न (अथ श्री कांगनी कथा Millets)

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अथ श्री कांगनी कथा  कांगनी जिसे कंगनी, काकुंन,टांगुन, कांग, काऊन आदि नामो से भी जाना जाता है एक मिलेट फसल है जिसकी एशिया और अफ्रीका में हजारों वर्षों से खेती की जाती रही है। यह एक ग्लूटेन फ्री अनाज है और पोषक तत्वों से भरपूर है जो कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। इस लेख में, हम कांगनी के पोषण मूल्य, स्वास्थ्य लाभ, उपयोग करने के तरीके और व्यंजन के बारे में जानेंगे। पोषण मूल्य : कांगनी के पोषण मूल्य की बात की जाए तो ये प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिजों का एक समृद्ध स्रोत है। इसमें कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम, मैग्नीशियम और जिंक अच्छी मात्रा में होता है। कांगनी में वसा की मात्रा भी कम होती है और इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम है, जो इसे मधुमेह वाले लोगों के लिए एक आदर्श भोजन बनाता है। स्वास्थ्य लाभ : कांगनी के बहुत से स्वास्थ्य लाभ भी है जो इस प्रकार है।  हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा : कांगनी मैग्नीशियम से भरपूर होती है, जो रक्त वाहिकाओं को आराम देने में मदद करता है, जिससे रक्तचाप कम होता है और हृदय रोगों का खतरा कम होता है। वजन घटाने में मदद करता है : क...